सकारात्मक ऊर्जा का महत्व
जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का बहुत ही ज्यादा महत्व है। जब ये ऊर्जा का स्तर कम होने लगता है तो इंसान की जिंदगी मे बहुत सारी व्यवस्थाओ का संतुलन बिगड़ जाता है। बहुत सारे वजह होते हैं जो हमारी सकरात्मक ऊर्जा को खत्म करके नकारात्मक विचारों को भर देते हैं। जब हम जो चाहते हैं वो नही होता है, हमारी इच्छा के विपरीत हमारी किस्मत जाती है तब हम परेशान हो जाते हैं। ये एक सबसे बड़ा कारण है निराशा मे डूबने का और यहाँ पर बहुत ही ज्यादा संभलना होता है।
नकारात्मकता तभी आती है, जब हमारी इच्छा के विपरीत कुछ होता है और हम अपने मन मस्तिष्क को संभालने मे नाकाम हो जाते हैं। ऐसे मौकों पर संयम बरतने की जरूरत होती है। कई बार ऐसा होता है कि घर में किसी बड़े या छोटे ने हमारी बात नही मानी, ऑफिस में काम नही बना, व्यापार मे नुक्सान हो गया, ऐसे ही बहुत से कारण हैं। घरेलू औरतों में कामन समस्या है, सास, बहु, ननद, छोटानी, जेठानी वगैरह का आपसी कलह। और अब तो अलग ही जमाना आ गया है, बेटियों की माँ से नही बन रही, बेटों का बाप से नही बन रहा।
इन सब के बाद एक जो सबसे अहम मुझे लगता है वो ये कि हमारी नौजवान बच्चो से उम्मीदें बहुत ज्यादा की जा रही हैं। घर वाले और समाज तो कर ही रहा है, खुद इन्हे भी खुद से कुछ ज्यादा ही उम्मीदे रहती हैं। एक तो नौकरी मिल नही रही, मिल रही तो अच्छा वेतन नही मिल रहा, अच्छा वेतन मिल रहा तो काम का भार इतना है कि फिर ये नकारात्मकता कि तरफ बढ़ रहे हैं। इसके वजह से आजकल की नौजवान पीढ़िया अवसाद (डिप्रेशन) मे चले जा रहे हैं। और इसमें लड़के, लड़किया सभी शामिल हैं। कुछ रिपोर्ट तो ऐसे भी आ रहे की नौकरियां है लेकिन उनके उम्मीदों पर खरा उतरने वाले लोग ही नहीं मिल रहे हैं। यहाँ पर हमारे शिक्षण संस्थानों और व्यवस्थाओं के गुणवत्ता पर भी गौर करनी चाहिए।
खैर, हम सकारात्मक ऊर्जा पर बात करते हैं। सकारात्मक ऊर्जा को बनाये रखने के लिए सकारात्मक सोच की जरूरत होती है। वास्तव मे अगर हम ध्यान दें तो हमारी सोच ही हमारी सकारात्मक ऊर्जा का श्रोत है और यह बहुत हद तक हमारे व्यक्तित्व को भी प्रदर्शित करती है। अगर सकारात्मक सोच है तो दूसरे की सकारात्मक ऊर्जा देखकर खुद की ऊर्जा भी बढ़ जाती है। एक बार मेरे साथ भी ऐसा हुआ था। व्यापार, पैसा, रिश्तें और भी बहुत से वजह से मै बहुत ही परेशान हो गया था। एक हफ्ते तक युंही पड़ा रहा और कुछ भी सुधार नही हुआ बस ओवर थिंकिंग मे डुबा रहा। समझ नही आ रहा था कि क्या करू। अचानक से अब्बा का वीडियो कॉल आया। उनका एक एक शब्द पूरे ऊर्जा से भरे थे और हँस के मुस्कुरा के बात कर रहे थे। काफी दिनों बाद बात हो रही थी। ऐसा लग रहा था उनके हर एक शब्द से ऊर्जा टपक रहा है। पहला वाक्य में ही उन्होंने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया की मैं गलत कर रहा हूँ और पांच मिनट की बात के बाद जब उनका फोन रखा मेरे अंदर ऊर्जा भर चुकी थी।
यहाँ सिर्फ सोच का फर्क है वरना कुछ ऐसे महानुभाव भी होते हैं जो दूसरे की सकारात्मक ऊर्जा देखकर खुद नकारात्मक हो जाते हैं।
एक और जरूरी बात, सोच बदलने से हालात बदलेगा इसमें कोई दो राय नही है लेकिन सिर्फ सोच बदलने से हालात बदलेंगे इसमें दो नही दस या उससे कहीं ज्यादा संदेह है। सकारात्मक सोच रखने से सकरात्मक ऊर्जा मिलती है, इसके साथ हमें मेहनत भी करना होता है। अक्सर सुनी हुई एक पंक्ति है कि सफलता का कोई शार्टकट नही है, इसका एक ही रास्ता है…… मेहनत। मेहनत करना ही पड़ेगा। और ये सकारात्मक ऊर्जा इस मेहनत मे बहुत काम आती है।